Detailed Notes on Shiv Chalisa lyrics
Detailed Notes on Shiv Chalisa lyrics
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त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी । बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
न कश्चित् पुत्रस्य वंचनं कर्तुम् read more इच्छति।
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
मुदामाकरं मण्डनं मण्डयन्तं महामण्डलं भस्मभूषाधरं तम् ।
धन निर्धन को देत सदा हीं। जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे । ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
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